"पापा, आपने जो मुझे दिया, वह आपको दुगुना-चौगुना वापस मिले। इससे बढ़कर एक बेटा और क्या चाह सकता है।"



"आपकी संपत्ति और आपका दिया हुआ अकेलापन, मैं दोनों आपके पास छोड़ रहा हूँ।"

"आपने जो कुछ भी मुझे दिया, वह सब आपको वापस मिले।"

"पापा, आपने मुझे हमेशा पैसे दिखाए और यही सबसे प्रिय चीज़ रही आपके लिए। आपके लिए संपत्ति मुझसे अधिक मायने रखती थी। मेरा भरपूर उपयोग उन पैसों को बढ़ाने के साधन के रूप में किया गया। इसलिए, मैंने वही पैसे हमेशा के लिए आपके पास छोड़ दिए। आपने जो दिया, वही आपको वापस मिले—आपकी पसंद के अनुसार। मैंने समझ लिया कि आपकी संपत्ति मेरे लिए नहीं है, लेकिन आपके लिए इससे बढ़कर कुछ भी नहीं। इसलिए, मैंने अपने हिस्से की सारी संपत्ति छोड़ दी, ताकि आप इसे पूरी तरह से अपना मान सकें।"


"पापा, आपको अकेलापन बहुत प्रिय था, क्योंकि आपने मुझे भी वही अकेलापन दिया। आप कभी मेरे साथ बैठे नहीं, कभी मुझसे हंसकर बात नहीं की, न मेरे साथ खेले, और न मेरा हाल पूछा। आप नहीं थे साथ, माँ को दूर रखा, मुझे घर पर समय नहीं बिताने दिया गया, भाई बहन—रिश्तेदार—दोस्तों से—स्कूल से—सबसे दूर और अकेला रखा। अगर अकेलापन आपको इतना प्रिय है, तो मेरी यही प्रार्थना है कि भगवान आपकी इस इच्छा को पूरी करें।"


"अच्छा-बुरा वक्त चलता रहता है। और जब मेरा बुरा वक्त आएगा, तब मैं यह नहीं सोचूंगा कि वह आपके से दूर होने की वजह से आया। मैं यह सोचकर खुश रहूंगा कि मेरे बुरे वक्त में, मैं कम से कम अपनों के साथ, अच्छे लोगों के बीच हूं, आपसे दूर हूं। क्योंकि आपने मेरे अच्छे वक्त को इतना बुरा कर दिया था कि बुरे वक्त में आप मेरा क्या ही करेंगे, इसकी कल्पना से भी मैं डरता हूं। मेरा कितना भी बुरा वक्त, आपके साथ बिताए वक्त से तो बेहतर ही होगा—इतना मुझे यकीन हो गया है।"

दिशाहीन जीवन और पिता की भूमिका

"आपने मुझे दिशाहीन कर दिया। आपको एक ऐसा जीवन दिखाना था, जो मेरे काम आए, जब मुझे जरूरत हो सवालों का सामना करने की । तब मैं आपको देख पाता कि आपने अपने समय में क्या किया कैसे किया था। मुझे बच्चों को कैसे रखना है? और भी जिंदगी में कई सवाल आते है वक़्त दर वक़्त—यह सब मैं कैसे सोचूं? न तो आपने कोई रास्ता बनाया, न ही आपने किसी और को देखने दिया।"

"आपके हर एक बुरे व्यवहार ने मुझे ऐसा बना दिया कि अब मुझे हर व्यक्ति के व्यवहार को हज़ार बार जांचना पड़ता है। मैं रिश्तों पर खुलकर भरोसा नहीं कर सकता, सही गलत नहीं समझ पाता। आपकी वजह से अब हर रिश्ते को और स्वयं को बार-बार परखना मेरे जीवन का हिस्सा बन गया है। जब दुनिया आपसे जुड़ने की सलाह देती है, तो मैं फिर से अपने अतीत को याद करता हूँ और खुद को सही-गलत में मापने के लिए मजबूर हो जाता हूँ।"

"आपने मेरी हर एक खुशी को हमेशा निशाना बनाया और मुझे उससे वंचित रखा। अब समझ नहीं आता कि खुशियों में खुश रहना है या डरना है कि कहीं कुछ और बुरा ना हो जाए। इसी भावनात्मक असर ने मुझे इस हद तक मजबूर कर दिया कि मैंने खुद अपनी वित्तीय स्थिति खराब करने का फैसला किया, ताकि बाकी चीजों में शायद बुरा होना बंद हो जाए। मैंने यह मान लिया था कि मेरे जीवन में कुछ न कुछ बुरा होना तय है। इसलिए खुद के शरीर, दिमाग, या पत्नी और बच्चों के साथ कुछ बुरा ना हो, मैंने पैसे को चुना कि इसी में मुश्किलें और नुकसान होता रहे और बाकि सब बचे रहे। यह सब आपके वर्षों के व्यवहार का नतीजा था, जिसने मुझे यह मानने पर मजबूर कर दिया कि मेरे जीवन में बुरा होना निश्चित है।"

"मेरे छोटे बच्चे के लिए दादा का प्यार कहाँ है? मैं आप पर कैसे विश्वास करूँ और आपके पास उन्हें कैसे लाऊँ? आपने तो कहा था कि बच्चों को मेरे खिलाफ कर देंगे, यह बात उनके होने से पहले ही कह दी। मान लो एक यह बात छोड़ दूँ, तो आपने मेरे बारे में, मेरी पढ़ाई या मेरे काम के बारे में कभी अच्छा क्या कहा? या किसी भी रिश्ते के बारे में? क्या आप कभी मुझसे खुश हुए? मेरी सभी खुशियों में, बचपन से लेकर अब तक, आप हमेशा दुखी ही रहे।"

"आपने ऐसा माहौल बना दिया था, जहाँ मैं आपके सामने रह ही नहीं सकता था। तैयार होकर या खुशी से, मुझे हमेशा लगता था कि मुझमें ही कोई कमी है। लेकिन अब मुझे पता है कि मैं सामान्य हूं।"

"आप कब मुझे अंगुली पकड़कर मेला दिखाने ले गए? आपकी अंगुलियां जरूर मेरे गाल पर पड़ी थीं, और मैंने कोई बदमाशी नहीं की थी, बस दुकान पर किसी से पैसे कम लिए थे, क्योंकि मैं सिर्फ दस साल का था।"

"आप मेरे साथ कब हंसे? हाँ जो हसना आपको याद होगा, परिवार में सभी को, तो वह मेरे ऊपर हसना था मेरे साथ नहीं। उसमें मैं खुश नहीं था, बाकी सभी होंगे। मेरी ख़ुशी और प्रगति में तो आप हमेशा परेशान हुए। आपने रोकने की कोशिशें की, आगे बढ़ाने की नहीं।"

"आपने मुझे मशीन की तरह काम करवाया। उसकी भी साल में होली-दीवाली पूजा होती है, लेकिन आपका मुझसे उतना भी अपनापन नहीं था। आपने खूब पैसे कमाए, बहुत तरक्की की। और शायद ही कोई दुनिया में मेरे जैसा होगा, जो पिता के लिए इतना सब कुछ छोड़ने को मजबूर हुआ हो, और फिर भी सामाजिक जीवन में बना रहा, बिना संत-साधु बने।"

"आपका ध्यान मेरी काबिलियत पर नहीं गया, मेरी प्रगति पर नहीं गया जो में बचपन से ही हर साल खुदको साबित करता आया था, पढ़ाई में, काम में, कंप्यूटर में, क्योंकि आपका ध्यान था कि तोड़ना कैसे है। एक बार भी देख लेते, अब पूरी जिंदगी पड़ी है सभी के लिए यह समझने के लिए कि सबने क्या खोया है।"

"मैंने आपसे, बहुत बार हर चीज़ के बारे में बात करने की कोशिश की। लेकिन आप हमेशा गुस्से में चिल्लाते थे, मुझे गलत ठहराते थे, और सबके सामने मज़ाक बनाते थे।"

"पापा, आपको मेरा जीवन व्यवस्थित और संतुलित बनाना था, लेकिन आपने इसे उलट-पलट कर बिखेर दिया उखाड़ दिया।"




अपनेपन के बिना दया नहीं आ सकती।

"दुनिया के कहने पर और अपने मन से, मैं एक समय बाद सब माफ कर देता—और किया भी था, बहुत वर्षों तक। लेकिन उसी समय, आपने मेरी माफी को मेरी कमजोरी समझा और पूरे परिवार ने भी। मेरी चुप्पी कमजोरी नहीं थी; वह आपके लिए सम्मान और रिश्ते की मर्यादा थी। मेरी चुप्पी को मेरी कमजोरी और मेरे दिमाग को कमजोर मान लिया, यह देखे बिना कि मैं साथ पढ़ रहा था और कंप्यूटर के बड़े-बड़े काम कर रहा था, जिसकी उस समय आप कल्पना भी नहीं कर सकते थे। लेकिन अहंकार के कारण यह सब अनदेखा रह गया। फिर जो व्यवहार आपने किया और परिवार से करवाया, उसके लिए मेरे पास माफी नहीं है। उसका न्याय होगा।"


"आपके दिए हुए भावनात्मक घाव इतने गहरे है, हरे है, और इतने सारे हैं कि साथ रहना तो क्या आपसे बात करना भी मेरे लिए मुश्किल है। यही कारण है कि मैंने आपसे बात करना भी बंद कर दिया। पहले मैंने आपका काम छोड़ा, फिर आपका घर, फिर आपसे बात करना बंद किया, और अंत में आपसे रिश्ता। इन सब में मुझे दस साल लगे। क्या यह समय आपके लिए संभलने और रुक जाने के लिए काफी नहीं था? लेकिन आप प्रताड़ना देते रहे, और मैं आपसे और दूर जाता रहा। अब जो भी हुआ है और जो भी आगे होगा, वह सब आपकी ही वजह से था और आपकी ही इच्छा से हुआ। उसी के परिणामस्वरूप, जो होना है, वही होगा।"

"आपने स्वयं ही इस रिश्ते को जबरदस्ती उस स्थिति तक पहुँचाया, जहाँ इसे छोड़ना ही अंतिम विकल्प था। मैंने बहुत कोशिश की कि साथ रहकर सब ठीक हो जाए, मेरे मन को पता है कि इस प्रयास में कितना दर्द था। आपने इसे उस स्थिति में पहुँचा दिया, जहाँ से इतने गहरे और इतने सारे घाव भरने में शायद पूरी जिंदगी कम पड़े। अब मैं आपसे दूर रहकर ही यह सब भूलने की कोशिश कर सकता हूँ और या भूलने की उम्मीद के सहारे जी सकता हूँ—आपको देखकर या उन दर्दनाक यादों को सोचकर नहीं। यही आपने चाहा था, आपने इसके लिए वर्षों तक प्रयास किया, और इसलिए आप सफल हुए। आपको मुझे तोड़ना था, और आपने मुझे खुदसे तोड़ दिया।"


पिता से जो मिलता है, वो सब मेरे लिए कहाँ है?
माँ से जो मिलता है, वो सब मेरे लिए कहाँ है?
तो फिर मैं उनके पास क्यों जाऊ, जो लगते तो माँ-पिता है,
लेकिन उनसे मिले मुझे अनगिनत भावनात्मक घाव है।

जो मिला है, वो इंसानियत के नाते मैं वापस नहीं दे सकता
और जो नहीं मिला, वो मैं कैसे दूँ?



एक अधूरी भावना - एक अनकहा दर्द - एक खोया हुआ रिश्ता

"जब कोई अपने पिता को जीवन की प्रेरणा कहता है, मैं सोचता हूँ—मेरे लिए यह स्थान किसने लिया? जब कोई अपने पिता की छत्रछाया में सुरक्षित महसूस करता है, मुझे वह सुरक्षा कहाँ मिली? मेरे लिए, यह रिश्ता सिर्फ एक संघर्ष था—एक ऐसा संघर्ष जिसमें अपनापन कभी था ही नहीं। जीवन के हर पड़ाव पर, जब दूसरों को अपने पिता की सलाह मिलती रही, मुझे केवल अनगिनत सवाल मिले। यह एहसास तब और गहरा हो जाता है जब मैं देखता हूँ कि प्यार और अपनापन किसी के लिए सहज है स्वाभाविक है, लेकिन मेरे लिए यह हमेशा एक अधूरी कल्पना ही रही। मैं दूसरों की कहानियाँ सुनता हूँ, उनके अनुभव देखता हूँ, लेकिन मैंने अपने पिता के साथ कोई ऐसा पल नहीं देखा, जिसे याद कर सकूँ, या जिस पर गर्व कर सकूँ। इन सब का मेरे लिए कोई अर्थ नहीं, केवल एक दर्दभरी परिस्थिति है जो बार-बार मेरी आँखों के सामने आती है।"





"पापा, आपने जो मुझे दिया, वह आपको दुगुना-चौगुना मिले। इससे बढ़कर एक बेटा और क्या चाह सकता है।"