संघर्ष की मनोस्थिति: जब कोई व्यक्ति मानसिक और भावनात्मक रूप से टूट चुका होता है, तो उसकी सोचने और निर्णय लेने की क्षमता कमजोर हो जाती है। यह स्थिति भ्रम, थकावट, और आत्म-संदेह का कारण बनती है।
दूरदर्शिता का महत्व: मानसिक संघर्ष के समय, दूरदर्शिता का उपयोग करना कठिन हो सकता है, लेकिन यह बेहद जरूरी है। इस समय की गई योजनाएं भले ही परिपूर्ण न लगें, लेकिन यह व्यक्ति को एक दिशा देने का काम करती हैं।
- भविष्य की कल्पना करना और छोटे लक्ष्य निर्धारित करना पहला कदम हो सकता है।
- दीर्घकालिक दृष्टिकोण के साथ काम करना, जैसे कि छोटी-छोटी उपलब्धियों पर ध्यान देना, मददगार होता है।
बुद्धि का उपयोग: भावनात्मक उथल-पुथल में, बुद्धि का उपयोग अक्सर बाधित होता है।
- इस समय तर्कसंगत सोच और निर्णय लेना कठिन हो सकता है, लेकिन अनुभवों से मिले सबक को लागू करना महत्वपूर्ण है।
- व्यक्ति को अपने अतीत से सीखने और भविष्य में वही गलतियां न दोहराने पर जोर देना चाहिए।
कम क्षमता के बावजूद प्रयास करें: मानसिक संघर्ष के समय की गई कोशिशें सामान्य स्थिति की तुलना में कम प्रभावशाली हो सकती हैं, लेकिन यही प्रयास व्यक्ति को आगे बढ़ने की दिशा में ले जाते हैं।
- अपने मन को प्रशिक्षित करना कि हर छोटा कदम भी महत्वपूर्ण है।
- खुद को पूरी तरह से ठीक करने के लिए समय देना और इस दौरान अपनी उपलब्धियों की सराहना करना।
क्या अपेक्षा करें: ऐसे समय में जब आप टूट चुके हों:
- निर्णय लेने में अधिक समय और ऊर्जा लग सकती है।
- खुद पर भरोसा करना कठिन हो सकता है, लेकिन यह समझना जरूरी है कि यह स्थिति स्थायी नहीं है।
- संघर्ष के समय में केवल छोटी सफलताओं पर ध्यान देकर आगे बढ़ा जा सकता है।
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