Preface | प्रस्तावना

भाग 1

Poem of Rachit by Gajendra D | रचित की कविता, लेखक: गजेंद्र देवड़ा

Gajendra D

कविता का शीर्षक: 'रचित की कविता'लेखक: गजेंद्र देवड़ा"मैं पर्वत चढ़ा तूने पर्वत मिटा दिया।मेरे भरोसे के बदले असमंजस में डाल दिया।ऐसा लगा जैसे कुछ हुआ नहीं मैंने कुछ किया ही नहीं।मेरी काबिलियत को ही दबा दिया।मेरे विश्वास को तोड़ने के...

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भाग 1

Poem of Rachit by Gajendra D | रचित की कविता, लेखक: गजेंद्र देवड़ा

Gajendra D

कविता का शीर्षक: 'रचित की कविता'लेखक: गजेंद्र देवड़ा"मैं पर्वत चढ़ा तूने पर्वत मिटा दिया।मेरे भरोसे के बदले असमंजस में डाल दिया।ऐसा लगा जैसे कुछ हुआ नहीं मैंने कुछ किया ही नहीं।मेरी काबिलियत को ही दबा दिया।मेरे विश्वास को तोड़ने के...

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भाग 2

Prologue to the story | कहानी की प्रस्तावना

Gajendra D

यह समझने की कोशिश की गई है कि संघर्ष से बाहर कैसे निकल सकते हैं और इनसे उपजे तनाव और मानसिक उत्पीड़न को पार कैसे कर सकते हैं। पारिवारिक मुश्किल परिस्थितियाँ [माता-पिता का अपनत्व नहीं, बुरे-स्पर्श की समस्या] बच्चों के लिए...

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भाग 2

Prologue to the story | कहानी की प्रस्तावना

Gajendra D

यह समझने की कोशिश की गई है कि संघर्ष से बाहर कैसे निकल सकते हैं और इनसे उपजे तनाव और मानसिक उत्पीड़न को पार कैसे कर सकते हैं। पारिवारिक मुश्किल परिस्थितियाँ [माता-पिता का अपनत्व नहीं, बुरे-स्पर्श की समस्या] बच्चों के लिए...

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भाग 3

I want to help | मैं मदद करना चाहता/ती हूँ

Gajendra D

आपकी रुचि के लिए धन्यवाद। आपका समर्थन और इच्छा किसी के जीवन को सकारात्मक दिशा देने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। कृपया लिखें या कमेंट करें कि आप किस प्रकार मदद कर सकते हैं। 

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भाग 3

I want to help | मैं मदद करना चाहता/ती हूँ

Gajendra D

आपकी रुचि के लिए धन्यवाद। आपका समर्थन और इच्छा किसी के जीवन को सकारात्मक दिशा देने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। कृपया लिखें या कमेंट करें कि आप किस प्रकार मदद कर सकते हैं। 

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भाग 4

दुःखों का अंत कैसे हो सकता है?

Gajendra D
Not published yet
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दुःखों का अंत कैसे हो सकता है?

Gajendra D
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