Glimpse of survival
उत्तरजीविता की झलक - 01
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रचित,
बचपन से लेकर बड़े हुए तब तक तुम उनके लिए कमाते रहे, एक दिन भी आराम करे बिना, और जब से तुमने अपने लिए कुछ भी चाहा तब से अब तक एक एक करके सब दूर हो गए |
[ ना तुम्हे खेलने दिया कभी, ना ही तुम्हे कोई छुट्टी मिली दुकान से | स्कूल बंद करवा दी, पढाई छुड़वाने के लिए हमेशा कोशिश करते रहे हताश करते रहे पढ़ने को लेकर गुस्सा होते रहे | और सी एस की पढाई पूरी कर लेने के बाद भी तो तुम्हे वो काम करने ही नहीं दिया गया | हमेशा डांट पड़ती थी, तुम्हे उतना ही सिखने दिया जाता कुछ भी जितना काम करने के लिए जरुरी था, तुम्हे क्या अच्छा लगता था यह हमेशा दबाया गया | तुम्हे सारे रिश्तेदारों से दूर रखा गया, हर एक से, दादा नाना जियाजी तक से, उनसे मिलने नहीं दिया जाता और उनकी बुराइयाँ भी करते रहते हमेशा | और तुम्हे तब भी विश्वास था की सब ठीक हो जायेगा एक दिन | तुम ननिहाल जाते थे, रात में 5 बजे बस से, और सुबह 6 बजे वापस बुला लेते हर बार,. हर एक बार |]
[ पुरे गांव ने देखा है, वहां हर दिन की बातें है जिसका तुम हिस्सा थे, वहां खड़े थे काम कर रहे थे | तुम्हारे सारे हर एक रिश्तेदार ने तुम्हारा बचपन देखा है और यह भी की तुम कभी नहीं आये उनके घर पर | ]

सब दूर हो गए उसके सबके अपने अपने कारण है ऐसा मानने के, और तुम्हारे भी अपने कारण है, अगर एक जैसे होते तो बात बन जाती, लेकिन अलग अलग है, कोई बैठ कर अगर बात करें तो शायद बात बन जाए, लेकिन तुमने इसकी भी कोशिश वर्षों तक करी, साफ जाहिर है की कोई चाहता ही नहीं सुलह हो |

कोशिशों में तुमने बहुत ज्यादा ही कुछ किया, करते रहे, अपना समझ कर लेकिन उसका भी मजाक ही बना|


तुम्हे शहर भी इसी शर्त से भेजा गया की तुम वहां भी काम करोगे पैसे कमाओगे, दुकान से भी ज्यादा, कंप्यूटर तुम्हारे साथ भेजा और दिनभर तुम ऑफिस का काम करते फॉर्म भरते और साथ ही कोचिंग करते | कुछ महीने शहर बाकी महीने फिर से दुकान पढाई के तीन साल ऐसे ही निकले, यहाँ भी एक मिनट की तुम्हे छुट्टी नहीं थी, हर दिन हर हल पिता से फ़ोन पर बात होती | नए लोगो के बीच थे लेकिन मिलने बात करने का समय नहीं था | परीक्षा के दिन भी पिता तुम्हे डाँटते ऑफिस भेजते |

इन सब के बिच तुम्हे नई बाइक भी मिलती है, स्पोर्ट्स बाइक, तुम्हे इससे ख़ुशी होती है लेकिन थोड़े समय बाद तुम्हारे पास स्कूटी होती है बाइक तो पिता चला रहा होता है, और नीच हरकतें पिता की उस पर भी वो लड़की घुमा रहा होता है | इतना काफी नहीं था क्या, लेकिन उस लड़की को तो पिता अपनी बहु बनाने के बहाने उसके घर वालों से करता है लड़की भी उसी में शामिल लगती है, तब भी तुम्हे इतनी हिम्मत और समझ थी रचित की तुम्हे बहु बनाने वाली बात पता चलते ही उसी दिन इसका परमानेंट इलाज करा, उसके बाद ना लड़की बैठी बाइक पर ना दिखी वापस | तुम्हे वही हिम्मत हमेशा रखनी है भूलना नहीं है | वक़्त चाहे कितना भी बदल जाये रचित ऐसी सोच रखने वाले पिता पर भरोसा मत करना कभी भी | और सारे परिवार पर भी नहीं जो इस बात को गंभीरता से नहीं लेते और कहने पर भी अनदेखा कर लेते है |

तुम्हारे पिता का औरतों को लेकर जो व्यवहार रहा उसने तुम्हे हमेशा परशान किया है बचपन में, और समय के साथ अब यह समझ भी आया है की समाज में उसकी इज्जत बहुत गिरी हुई है इस मामले में |


तुमने पिता के घर में रहते हुए, अपने बचपन में कई बार मरने के बारे में भी सोचा, और लगातार ऐसे विचार आते रहे पिछले दो तीन वर्षों तक भी |

और पैसे सम्पति तुम इसीलिए भी नहीं लेना चाहते क्यूंकि तुम्हे लगाव हे ही नहीं, पैसे होने का कोई तुम्हे फायदा महसूस ही नहीं हुआ, तुम तो वहां काम कर रहे थे, और रिश्तो के नाम पर तुमसे काम करवाया जाता, आज तुम उनसे दूर होकर नए रिश्ते महसूस कर रहे हो, और काम भी अपना कर रहे हो, आज तुम आजादी महसूस कर रहे हो इसीलिए तुम बहुत ही मजबूती से यह कह पा रहे हो की तुम्हे सम्पति नहीं चाहिए उनकी, और पिता ने भी सम्पति का हर दिन सुनाया है, उसके हिसाब से उसने पैसों से तुम्हे ख़रीदा हुआ है, और तुम्हारे हिसाब से तुम वस्तु नहीं जो खरीदी जा सके, इसीलिए पैसे सम्पति लेकर अपने आप को बेचना नहीं चाहते |


Glimpse of survival
उत्तरजीविता की झलक - 02
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रचित तुम्हे यह भी नहीं भूलना चाहिए की एक सामान्य परिवार कैसा होता है यह तुमको बिस वर्ष के होने पर ही दिखा और तुम्हे अजूबा लगा, और वो सब बिलकुल हर घर की तरह सामान्य स्थिति थी | और वहां पर भी तुम्हे जाने से पिता ने बहुत रोका, माँ भी साथ थी उसने भी बातें कही |

रचित तुम्हे यह भी नहीं भूलना है की तुम्हारे पिता ने इतना तंग करा की उनके कारण ही तुमने अपनी मार्कशीट सारे नोट्स सारे दस्तावेज दसवीं के बाद के सब जला दिए थे | तुम्हारी कॉलेज की और सी एस की मिलकर 100 से ज्यादा बुक्स और नोटबुक्स थी |

रचित एक पिता हमेशा इन सबसे खुश होता है, अपने बच्चे की पढाई से अंकतालिका से, तुम्हारा पिता प्यार नहीं करता, और सारा परिवार भी क्यूंकि किसी को यह नहीं दीखता या इसके लिए कुछ करना नहीं है | बात करके तुम्हारा मन भी हल्का नहीं करना है |

रचित तुमने मरने का बहुत बार सोचा, और एक बार तो तय था, इसीलिए तुमने सब जलाया था अपने पढाई से सम्बंधित, लेकिन मरना तय होकर भी तुम तैयार थे जिन्दा लाश बनकर जीने को जब तक की तुम्हारी छोटी बहन की ग्रेजुएशन ना हो जाए | यह तुम्हारी अपनायत थी, और उसी को तुमने और भी पांच छह सालों तक संभाला उसकी हर बात का जवाब दिया जो भी घर की और पिता के बारे में थी, लेकिन जब तुम्हे जरुरत पड़ी तब उसी को समय ही नहीं था बात करने का भी, उसने मना ही कर दिया, रचित कभी भी उसपर विश्वाश मत कर लेना |


रचित इतना सब कुछ होने के बाद भी एक साल ऐसा था जब तुम सब कुछ भूल चुके थे, तुमने माफ़ कर दिया था सब, और सारा ध्यान पढाई पर था और वो सफल भी रहा, अगर पिता वहां रुक जाता तो शायद सब ठीक होता, पिता से बात भी साफ हुई थी हालाँकि उसने मदद नहीं की पढ़ने में सौदा किया था की दो साल मिलेंगे इतना पढ़ेगा और कमायेगा की पिता को आगे से काम नहीं करना पड़ेगा | लेकिन एक ही साल अच्छा चला, उसने फिर से तुम्हारी पढाई रोक दी, और इतना नीच इंसान है की पढाई रोक के बोलता है की दो साल हो गए अब तुम इतना कमा तो नहीं रहे | ऐसे नीच इंसान पर कभी भी भरोसा मत करना | पिता होने का उसने कोई फर्ज नहीं निभाया तो तुम्हारा कोई कर्ज बना ही नहीं, उसने तो पिता होने का गलत फायदा उठाया उसकी उसको सजा भगवान जरूर देगा |


stopover - पड़ाव

Glimpse of survival
उत्तरजीविता की झलक - 03
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रचित तुमने कैसे माहौल में रहकर सी एस की परीक्षा उत्तीर्ण की थी इस काबिलियत को कभी भूलना मत, तुम कुछ भी कर सकते हो |
और पिता के कारण उसको छोड़ना पड़ा फिर भी तुमने ऐसे समय में नया काम शुरू किया इस हिम्मत को कभी भूलना मत, तुम कभी भी कुछ भी कर सकते हो और सफल हो सकते हो |
और ऐसे पिता पर कभी विश्वास मत करना, ना ही ऐसे परिवार पर जिन्हे यह सब दिखता ही नहीं |

"जैसी जिंदगी दी है पिता ने आज तक, उसमें से एक दिन भी नहीं जिसको मैं फिर से जीना चाहता हूं|"

किसी भी बच्चे के लिए पिता हीरो होता है |
पिता ही दुनिया में सबसे सही इंसान होता है |
सबसे सुरक्षित जगह पिता के पास होती है |
सबसे ज्यादा भरोसा किसी भी बच्चे को अपने पिता पर होता है |
एक बच्चे के लिए सबसे बेहतर सिर्फ उसका पिता सोच सकता है |
यह तो कुछ उदाहरण है इस रिश्ते को शब्दों में बयां करना मुमकिन नहीं |

लेकिन इसके विपरीत

एक बच्चे को अपने पिता को गलत मानने, उनसे दूर होने, हमेशा के लिए उनसे अलग होने में कितनी सारी मानसिक परिस्थितियों, सवालों, उलझनों से गुजरना पड़ता है? रचित तुमको यह सब अभी तक की पूरी जिंदगी भर सहन करना पड़ा है, हर एक दिन | अब उन सब से दूर हो जाओ और भूल जाओ हमेशा के लिए |


Glimpse of survival
उत्तरजीविता की झलक - 04
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रचित कभी ना खत्म होने वाली ऐसे नीच पिता की घटिया हरकतें होती ही रहेंगी अगर तुम रोकोगे नहीं और दूर ही नहीं हो जाओगे, अपने के नाम पर रिश्ते के नाम पर यह तुम्हे खा जायेगा और तुम्हारी पत्नी और बच्चो को भी, सबकी जिंदगी ख़राब करने ही हर एक कोशिश इसने करी है, बार बार तुमने इसको समझाने की कोशिश करी मौके दिए बात करी, धमकाया पैसे भी लिए दो बार इतने सारे, लेकिन इसकी हरकतें और आदतें बंद नहीं हुई | और तुम्हारा जीवन अशांत और बर्बाद करता जा रहा है, हर दिन, और परिवार में पूरी तरह से जहर भर दिया है तुम्हारे खिलाफ,

रचित याद रखना तुम्हारी उस हिम्मत को जब तुम घर से निकले, उसी से तुम्हारी जिंदगी में सुधार हुआ है और तुम्हारी असली पहचान बनी है, समाज में रिश्तो में | हाँ लेकिन तुम्हारे अपने घरवाले यह नहीं देख पाए ना ही साथ रह पाए, उनसे तुम अब दूर ही रहना |

रचित तुमने सम्पति नहीं लेने का बहुत बड़ा फैसला लिया है, तुम्हारे अंदर बहुत हिम्मत है,
पिता को तुमने बहुत मौके दिए है तुम्हारे अंदर बहुत अपनायत है और रिश्ते निभाने की इच्छा भी, लेकिन उसने हर बार धोखा दिया है, यहाँ तक भी तुम्हारी पत्नी भी घर में सुरक्षित महसूस नहीं करती, यही उसकी आखिरी गलती रही है, जहाँ से रिश्ता तो खतम हो चूका था | उसके बाद तुम कभी पास नहीं रहे साथ नहीं रहे, लेकिन एक सामाजिक रिश्ता बना रह सकता था परन्तु उसने वह भी नहीं रखा अपनी हरकतों से बाज नहीं आया | तुम उस समय भी इतने मजबूत थे की स्वयं को और अपनी पत्नी को ऐसे इंसान से उसी दिन से दूर रखने में कामयाब रहे, चाहे उसके लिए घर छोड़ना पड़ा चाहे पिता की सारी सम्पति ही |

उसने कोशिश करी तुम्हे पैसों में फ़साने की, की पहले पढाई के लिए जब हाँ भरदी, दो साल का सौदा हुआ था लेकिन बिच में उसने विश्वाश में लेकर शादी करवाई और पैसे देने बंद कर दिए, जिससे तुम्हारी पढाई रुक गई | वो इतना गिरा हुआ इंसान है की अपने पुरे साल को ख़राब करने का आरोप उसने तुमपर लगाना चाहा, तुम्हे कुछ दिनों के लिए मदद के लिए बुलाकर, अच्छा हुआ तुम उसी दिन इस बात पर लड़े उससे |

इसके बाद तुम्हारी हिम्मत थी सब कुछ फिर से शुन्य से शुरू करके पैसे कमाने की और ऐसे पिता की दुकान पर वापस नहीं जाने की | उसके बाद भी इसने तुम्हे जितना हो सके तंग किया करता रहा |

शादी के बाद कोई भी खुश रहता है घूमता है तुम्हे तो इसने इतनी चिंताए दी और खाने के लिए पैसे भी बंद कर दिए, इतना अमीर होकर भी अपने घर में तुम्हे खाने के पैसे कपड़ो के पैसे भी नहीं मिले थे शादी के शुरू के 18 महीनों में, उस समय को कभी भूलना नहीं | उसके बाद तुमने इसको धमकाकर पैसे लिए भी पर इसकी नीचता नहीं गयी | और

तुम्हे घर भी छोड़ना पड़ा, फिर परिवार भी अलग होने लग गया |

तुम्हारी पत्नी को जब जरुरत थी सबसे ज्यादा गर्भावस्था में, उस समय पिता ने और साथ ही साथ परिवार के हर एक सदस्य ने जो बर्ताव किया उसको कभी भूलना मत, पहले मिसकैरेज और दूसरी बार डिलीवरी होने तक भी, इन दो वर्षों में जो सबका रव्वैया था, उसके बाद तुमने बच्चो को दूर ही रखा वो निर्णय बहुत ही सही था |

तुमने इतने सारे निर्णय लिए है, यह काबिलियत कभी मत भूलना और याद रखना कुछ भी हो जाये तुम हमेशा उपाय ढूंढ लोगे और कभी हताश होने की जरुरत नहीं रहेगी, और अब कोई परेशानी रहेगी भी नहीं क्यूंकि तुमने अब परेशानिया पीछे छोड़ दी, अब तुम्हारा दूर दूर तक कोई नाता नहीं, और साथ ही सारा समाज परिवार रिश्तेदार सब इस बात को देख परख रहे है और साथ और अपनापन भी दे रहे है |


Glimpse of survival
उत्तरजीविता की झलक - 05
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इन सब में माँ कहाँ थी? उसने कुछ किया क्यों नहीं? वो कहकर बताये इन सब के बारे में

और दोनों बहनें कहाँ है? वो बताये उन सबका क्या कहना है इस बारे में? क्या ऐसा कुछ हुआ ही नहीं है? क्या वो रचित की तकलीफे समझती मानती है?

कोई भी इस बारे में बात नहीं करता करना चाहता तो अब रचित क्या समझे? और सब मिलकर पिता को रोकते क्यों नहीं या अपनी स्थिति स्पष्ट क्यों नहीं करते?


पिता ने तुम्हे दस वर्ष सिर्फ पैसे कमाने में लगाए रखा इसके चलते तुम्हारा बचपन खेलना सब छिना, तुम्हारी पढाई छीनी, तुम्हारा बना बनाया करियर उजाड़ा - इस समय का एक दिन भी तुम्हारा नहीं रहा?
और जब तुमने खुद अपने लिए कुछ करना चाहा तब से तुम्हे रोकने-तोड़ने में लगा हुआ है, घर में, समाज में, और ससुराल तक को तुम्हारे खिलाफ करता रहा अगले दस वर्षों तक - और यहाँ भी एक दिन भी तुम्हारा नहीं रहा!

और परिवार, जब तुम उनसे मदद मांगी तो उनको सुनना नहीं है, समझना भी नहीं है तुम्हारी किसी भी समस्या को | तुम्हे घर पर रखा ही नहीं गया था पुरे बचपन से लेकर जब तक बड़े हुए, एक दिन भी नहीं, तो उनके लिए तुम एक काम करने की मशीन ही थे, जो अब ख़राब हो गयी है क्यूंकि पिता यही कह रहे है, और परिवार में सब यही मान रहे है, यहाँ तक की माँ भी, बहन भी जिसके लिए पिता से इतने साल लड़ा उसकी समस्याओं के लिए, बहन-भांजे सभी जिनके साथ हमेशा खेलने मजे करने के लिए तैयार रहा, किसी को तुम्हे सुनना तक नहीं मदद करना तो बहुत दूर की बात है | तुमसे ज्यादा वो पिता की बातों को मानते है|



तुम्हारे पुरे परिवार में कोई भी तुम्हारे लिए एक शब्द भी नहीं बोल सकता | तुम्हारे सभी रिश्तेदारों ने इस बात को समझा है अनुभव किया है |



माँ के लिए तुम हमेशा सोचते थे की उसको भी डांट पड़ती है गलत होता है उसके साथ, इसीलिए तुम कुछ नहीं उम्मीद करते की वो कुछ मदद क्यों नहीं करती | लेकिन समय के साथ बहुत सारी ऐसी बातें होती रही की माँ के होने न होने का कोई एहसास ही नहीं रहा, माँ से ज्यादा उन्होंने तुम्हारे पिता की पत्नी होने का रिश्ता निभाया उन्ही की मानी चाहे तुम्हारा कितना भी बुरा हो या तकलीफ हो, उनको अपने बेटे की तकलीफों से ज्यादा अपने पति की 'बातें' मानना जरुरी लगता है | चाहे उससे इतना सब कुछ हो रहा हो|....

और यही विचार तुम्हारा बाकी सभी के लिए था, और सभी ने कुछ न कुछ ऐसा किया। ...

बड़ी बहन का घर तुम्हे अच्छा लगता था | भांजो के साथ भी तुम खेलते थे |

बहन बहनोइ तो तुम्हे दूर ही रखेंगे, क्यूंकि उनको इस बात के करोड़ो मिलेंगे सम्पति में से, इकलोते भाई को अलग करने से अब कोई नहीं वहां |

पिता ने कुछ नहीं दिया बचपन से ही, तुम्हे तो खाना भी इतना ही खिलाया जाता था टिफिन में ही जितना जरुरी था काम करने के लिए, दुकान पर, टिफिन में, चाहे तुम 12 वर्ष के बच्चे थे, चाहे तुम 20 वर्ष के, क्या तुमने कभी घर पर खाना खाया है दिन में इस बिच? क्या एक दिन भी घर पर रहे हो बीमारी के समय के अलावा? क्या एक दिन भी खेले हो अपने हमउम्र के लड़को के साथ? क्या किसी शादी में एक दो दिन भी रुके हो कही भी? क्या ननिहाल रहे हो दो दिन भी लगातार उस समय में? सबका जवाब ना है, मतलब तुम्हारे पिता ने तुम्हे कुछ नहीं दिया सिर्फ छिना ही है, और इसमें माँ ने भी कुछ नहीं बोला या किया, और बहनों को तो यह दीखता ही नहीं | क्यूंकि बहनो को सब मिला है आज तक घर पर, पढ़ना हो या चाहे कहीं जाना हो, तुम्हे तो दिन में कम से कम दो या तीन बार डांट पड़ ही जाती थी, जितनी तुमने एक महीने में डांट खायी होगी उतनी बहनों ने आज तक नहीं सुना होगा तो उनको कैसे तुम्हारी तकलीफ समझ आएगी | और अब नहीं समझेंगे तभी तो सारी सम्पति उनको मिलेगी |

तुम छत्तीश वर्ष के हो, क्या पिछले चौबीस वर्षो की जिंदगी में एक भी वर्ष पिता की दी हुई परेशानियों के बिना निकला? नहीं ना! रचित पिता परशानिया मिटाने के लिए होता है, जब बड़े हो रहे होते है तो जिंदगी बनाने के लिए पिता मदद करता है उजड़ने में नहीं |

और परिवार, उनको तो यह सब लगता भी नहीं | महसूस ही नहीं होता, उनको अपनी सुविधा चाहिए, और पैसे चाहिए, उनको इंसान नहीं चाहिए |

क्या पिता का कोई दोस्त है? परिवार का? क्या तुम्हारे माता पिता का कोई अपना है? वो दोनों तो अपने माँ-बाप से भी हिसाब मांगते है सवाल जवाब करते है |

समाज के सारे रिश्तेदारों ने अपनी एक ही प्रकार की राय दी है तुम्हारे पिता और पिछले कुछ वर्षों में परिवार के प्रति भी, जबसे तुमने सबसे अपनी स्थिति बताई, तबसे सबने उनको देखा समझा और अनुभव करके ही तुम्हे बताया है वो बिना अपनत्व के इंसान है, अंदर से खोखले किसी के सगे नहीं |


तुम्हे सब भूल जाना चाहिए |

और तुम्हारा परिवार, उनको तो तुम पहले से ही गलत लगते हो, और उनको गुस्सा भी आता है जब तुम किसी और से मदद मांगते हो | तुमसे नफरत बढ़ जाती है की तुम कैसे घर से बाहर किसी से बात कर सकते हो और मदद ले सकते हो, क्यूंकि तुम उनकी एक मशीन ही थे, जो काम करे और पैसे कमाए, और मुँह बंद रखे |


stopover - पड़ाव

Glimpse of survival
उत्तरजीविता की झलक - 06
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रचित,
ऐसा मुमकिन है की तुम्हे समय समय पर दौरे पड़ते रहे इस बात के की तुम कुछ ठीक कर सकते थे, या तुम्हारी ही गलती तो नहीं थी कहीं? क्या तुम्हारी खुद ही की गलतियां हो सकता है इन सब के पीछे? उनको लग सकता है पर तुमने कोई भी इतनी बड़ी गलती नहीं करी है, तुम इतने अजीब नहीं हो की कोई साथ ही नहीं रह पाए, पुरे परिवार के अलावा बाकी दुनिया में बहुत से लोगो से तुम मिले हो, बचपन से ही दुकान पर, ऑफिस में, शिक्षक इतने सारे, दोस्त भी है जिनसे तुम मिलते कम हो और तुम्हारे सारे के सारे रिश्तेदार, छोटे और बड़े, लेकिन कोई भी तुम्हे ऐसा नहीं मानता की तुम ऐसे इंसान हो जिसके साथ रहा ही नहीं जा सके, सबका तो इसके उलट मानना है, तुम एक अच्छे इंसान हो सबके हिसाब से, और थोड़ा अजीब हो और इसका कारण भी इतना ही है की तुम खुलते नहीं किसी के सामने, ज्यादा रुकते नहीं दोस्तों के साथ, क्यूंकि रुकने से मन हल्का होता है बातें होती है और वो तुम नहीं करना चाहते थे अपनी सारी बातें किसी से भी घर की, क्यूंकि तुम्हारी बहनो ने ऐसा कहा था तुमसे, और वही तुमने निभाया भी, अपने जीवन में ढाल दिया | तुम ऐसे इंसान हो की तुमने अपने पिता के खिलाफ तक एक शब्द नहीं बोला किसी को भी कभी भी, उनके इतना करने के बाद भी | तुमने सब अपने मन में रखा, और मन को सबसे दूर रखा, यही कारण था की तुम खुलते नहीं थे किसी के सामने |

ऐसा मुमकिन हो सकता है क्योंकि तुम्हे बचपन से ही बहुत ज्यादा गलत साबित करने की भी कोशिश की गयी | तुम्हे तुम्हारे पिता ने कभी भी सही होने का एहसास नहीं दिलाया | तुम्हारे साथ बहुत छल (manipulation) हुआ है, जैसे पिता बचपन से ही तंग करता आ रहा है इसके बावजूद इतना बेशरम है की घर में ऐसे पोस्टर लगा रखे थे जिनमें दिखाया गया था कि "बड़े होने पर बेटे को पिता सही लगने लगते हैं", और उससे पिता साबित करता रहता की देखना एक दिन में तुझे सही लगूंगा। जैसे बचपन में एक दिन भी नहीं खेलने दिया और जब तुम कॉलेज की पढाई में व्यस्त हुए तो तुम्हे खेलने की जरूरतें पिता समझाता था, ताकि तुम पढ़ाई से भटक जाओ | तुम रोते थे, तुमने बहुत बार काँच पुरानी कांच की बोतलें थोड़ फोड़ करी है |


रचित,
इनके डर को छोड़कर अपने रिश्तेदारों के पास जाना और सब बता देना तुम्हारा सबसे सही फैसला था, चाहे इनमे से कोई भी कभी उसको गलत ठहराए क्यंकि सबको तुमने इतने वर्षों तक मौका दिया था | कभी मत भूलना उन सबको जिन्होंने तुम्हे ऐसे इंसान और परिवार से बचाने में मदद करी और सही सलाह दी |

रचित तुम्हारे अंदर निर्णय लेने की बहुत उच्च तरह की क्षमता है, उसको इन सब से दूर होकर अच्छे काम में लगाओ और आगे बढ़ो | एक समय था तुम्हारी जिंदगी में तुम्हे गलत बोलने वाले रोकने वाले और बुरा महसूस करवाने वाले इंसान ज्यादा थे, आज उन सबसे तुम दूर हो, और अच्छे इंसान तुम्हारी जिंदगी में ज्यादा है |

रचित तुम्हारे अंदर रिश्ते निभाने की क्षमता और इच्छा बहुत मजबूत है, तुमने जिस तरह से घर के लिए सही सोचा इतने वर्ष सहन किया वो सब एक अच्छे इंसान और मन के साफ़ इंसान होने को दिखाता है, अब तुम्हे अपने पिता और परिवार से रिश्तो का सर्टिफिकेट लेने की जरुरत नहीं, अब जरुरत उनको है अपनी स्थिति बताने की इन सब में |

रचित यह वही पिता है जिसने तुम्हे डराने की कोशिश करि परिवार आगे बढ़ाने के लिए, कभी तुम्हारे बच्चो को ही तुमसे अलग करने की धमकिया, ऐसे इंसान से कोशो दूर रहना ही सही रहेगा, किसी भी उम्र में ऐसे विचार घर को बरबाद करने के लिए बहुत होते है कोई भी 'पिता' अपने बेटे से ऐसी कोई बात नहीं करता, ये एक हैवान है पिता शब्द के साये में छुपा हुआ |

किसी भी दबाव में आकर कोई गलती मत कर लेना | तुमने आज तक जो फैसले लिए है जैसी परस्थिति में तुम थे, वो सबसे बड़े फैसले हो चुके है, और निभा चुके हो तुम अब उनसे बड़े फैसले लेने की जरुरत कभी नहीं पड़ेगी और तुम हर दिन मजबूत भी हो रहे हो तो सब आसान रहेगा |