शब्द ही आधार है,
एहसास नहीं है। अच्छा बुरा नहीं है, दुःख है। अपराधबोध (guilt) महसूस होता है कि ऐसा क्यों है या मैं ऐसा क्यों कर रहा हूँ या ऐसा मेरे साथ क्यों हो रहा है।

पिछले चौबीस वर्षों की जिंदगी के आधार पर, उम्र हो गई है छत्तीस वर्ष उसके आधार पर, और दुनिया/समाज के नजरिये से भी थोड़ा बहुत अपने परिवार को समझा, परखा उसके आधार पर, शब्द यह है कि:

रचित,
तुम्हारे पिता और माता और तुम्हारी दोनों सगी बहनें तुमसे प्यार नहीं करते, और इसी कारणवश ना ही उनके बच्चे।



यहां तक ​​आते आते जितना सहन करना पड़ा हो गया, अब और नहीं!
It already took what it takes to reach here, now no more!

31-07-2023, 21-08-2024

सन 2022-2024
[समाधान: समापन व निष्कर्ष]
खोलें

बुरा-स्पर्श
रचित को एक बात समझ आती है, की आज तो वो जिन्दा है, फिर भी बहनें रचित रचना के किसी भी तरह से साथ नहीं इस समस्या में, कल को रचित को कुछ हो गया, तो दुनिया में तो किसी को भी इतनी सारी समस्याएँ पता ही नहीं और बहनें तब रचना और रचित के बच्चों को पिता से दूर सुरक्षित रखेंगी? मदद करेंगी? साथ देंगी? इसलिए अब रचित अपने घर में अन्य भाई बहनों से चाचा से सारी समस्यांए साझा कर देता है |
जिसके कुछ समय बाद माँ और दोनों सगी बहनों के अलावा सब इसमें साथ है, यह बहुत अच्छी बात है रचित और रचना के लिए | बुरे-स्पर्श की शिकायते और भी है पिता के खिलाफ, इन दो वर्षों में काफी सारा इस पर ध्यान गया है सबका |


परिवार
दुनिया के सामने परिवार का कोई सदस्य, यह नहीं कह सकता की रचित रचना के साथ पिता ने गलत किया, और रचित रचना सही है अपनी जगह | इसलिए रचित किसी के साथ नहीं है अभी |
"रचित, तुम्हारे पिता और माता और तुम्हारी दोनों सगी बहनें तुमसे प्यार नहीं करते, और इसी कारणवश ना ही उनके बच्चे |"
रचित का कोई परिवार नहीं, कभी था ही नहीं | वो एक मशीन था काम करने की, बचपन से ही, दुकान पर ही ज्यादा रहा था | पिता बचपन से ही दुखी रखता, माँ से कभी भी एक शब्द की भी मदद नहीं मिली, ना ही दोनों बहने काम आयी जरुरत के वक़्त और बुरे वक़्त में, थोड़ा जिनके साथ हसते-खेलते थे उनको भी अलग कर दिया गया |


पिता
पिता से रिश्ता ख़तम |
पिता से रिश्ता ख़तम किया कभी और उनको इससे कोई फर्क नहीं पड़ता जैसा की बाकि सभी ने देखा समझा विशेष रूप से पिछले दो-तीन वर्षों में, और पिता की सारी पहचान उजागर हुई है, सबने माना है जो भी उसने रचित के साथ किया |


सम्पति
पिता के घर पर नहीं रहता कई वर्षों से |
पिता की सम्पति रचित नहीं लेगा कभी भी |
जिस सम्पति में बचपन से ही दुःखी रहा, वो आगे भी काम आएगी ऐसा रचित को नहीं लगता | नहीं लेना ही जिंदगी को अच्छे से शुरू करेगा, अभी रचित के पास सम्पति शुन्य है लेकिन पिता की परेशानियों से दूर है, यही सबसे बड़ी सम्पती है |