शब्द ही आधार है,
एहसास नहीं है। अच्छा बुरा नहीं है, दुःख है। अपराधबोध (guilt) महसूस होता है कि ऐसा क्यों है या मैं ऐसा क्यों कर रहा हूँ या ऐसा मेरे साथ क्यों हो रहा है।
पिछले चौबीस वर्षों की जिंदगी के आधार पर, उम्र हो गई है छत्तीस वर्ष उसके आधार पर, और दुनिया/समाज के नजरिये से भी थोड़ा बहुत अपने परिवार को समझा, परखा उसके आधार पर, शब्द यह है कि:
रचित,
तुम्हारे पिता और माता और तुम्हारी दोनों सगी बहनें तुमसे प्यार नहीं करते, और इसी कारणवश ना ही उनके बच्चे।
यहां तक आते आते जितना सहन करना पड़ा हो गया, अब और नहीं!
It already took what it takes to reach here, now no more!
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